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आईआईटी ( आईएसएम), धनबाद के बारे में

पृष्ठ भूमि


भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने दिसंबर 1901 के अपने XVII सत्र में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया था कि "इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि हाल के कानून, 1901 के भारतीय खान अधिनियम VII की प्रवृत्ति यह है कि सभी भारतीय खदानों को खनन विशेषज्ञों की देख-रेख में रखा जाना चाहिए।, कांग्रेस की राय है कि इग्लैंड में रॉयल स्कूल ऑफ माइन्स, जापान के माइनिंग कॉलेजों के तर्ज पर भारत में किसी उपयुक्त स्थान पर तथा महाद्वीप के अन्य स्थानों एक सरकारी खनन इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित किया जाए। भारत सरकार द्वारा गठित मैकफर्सन समिति ने खनन और भूविज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा प्रदान करने के लिए एक संस्थान की स्थापना की सिफारिश की, जिसकी रिपोर्ट 1920 में प्रस्तुत की गई, इस सिफ़ारिश ने ही इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स, धनबाद की स्थापना को मुख्य आधार प्रदान किया ।

भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा औपचारिक रूप से 9 दिसंबर 1926 को खनन और अनुप्रयुक्त भूविज्ञान के विषयों के साथ देश में खनन गतिविधियों से संबंधित प्रशिक्षित जनशक्ति की आवश्यकता को पूरा करने हेतु भारतीय खनि विद्यापीठ खोला गया था। 1967 में इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम,1956 की धारा 3 के अंतर्गत समतुल्य विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था। अपनी स्थापना के बाद से, आईआईटी (आईएसएम) ने अपनी गतिविधियों में अत्यंत विस्तार किया है, और वर्तमान में इसे पूर्ण प्रौद्योगिकी शिक्षा संस्थान के रूप में माना जा सकता है।

अवलोकन


प्रशासन

इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एक्ट, 1961 के अंतर्गत गठित आईआईटी (आईएसएम) को देशभर के आईआईटी के समान और सुचारु प्रशासन के लिए माननीय शिक्षा मंत्री भारत सरकार की अध्यक्षता में आईआईटी परिषद-शीर्ष निकाय के माध्यम से प्रशासित किया जाता है।

विजन और मिशन

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त संस्थान के रूप में बौद्धिक उत्कृष्टता एवं सामाजिक प्रतिबद्धता के साथ उच्च तकनीकी और वैज्ञानिक शिक्षा के क्षेत्र में, जहां पहल का विकास, नए विचार, शोध और उत्कृष्ट ज्ञान का संवर्धन होता हो और बौद्धिक ईमानदारी एवं आदर्श हो तथा इससे प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भविष्य के आविष्कारों हेतु नेतृत्वकर्ता सृजित हों । एक विकासशील समाज में प्रेरक के रूप में कार्य करते हुए, देश के प्रमुख प्रौद्योगिकी शिक्षा संस्थान के रूप में इसका लक्ष्य न केवल राष्ट्र के तकनीकी विकास में बल्कि इसके समग्र विकास में भी शामिल होना है ।
मानवशक्ति को इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी तथा अनुप्रयुक्त विज्ञान, प्रबंधन और अनुप्रयुक्त कला के विभिन्न विषयों में स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध के स्तर पर शिक्षित और प्रशिक्षित करना ।

इतिहास और आविष्कार

कोलकाता से 260 किलोमीटर दूरी पर देश के प्रमुख कोकिंग कोल बेल्ट के केंद्र में स्थित, 393 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ (वर्तमान परिसर के 218 एकड़ और 175 एकड़ भूमि अधिग्रहण एवं विकास के अधीन ) आईआईटी (आईएसएम) विश्व स्तरीय शैक्षणिक सुविधाओं से युक्त पूर्ण आवासीय परिसर है । इसकी स्थापना खनन, पेट्रोलियम, खनिज और पृथ्वी विज्ञान में शिक्षा प्रदान करने के लिए की गई थी । इस संस्थान ने शीघ्र ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एक पूर्ण तकनीकी संस्थान के रूप में अपनी पहचान बना ली है और बी. टेक, एम. टेक, एम. एससी. टेक, और एमबीए तथा पीएच. डी कार्यक्रम प्रदान कर रहा है ।

भूवैज्ञानिक संग्रहालय में पत्थर

 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान
(इंडियन स्कूल ऑफ माइंस)
धनबाद- 826004
झारखंड, भारत

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